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-फ़िरदौस ख़ान
अंग्रेज़ी में कहावत है कि ‘बॉयज़ डोंट क्रा’ई यानी लड़के नहीं रोते… मतलब रोती तो लड़कियां हैं. मगर ऐसा नहीं है… दुख, दर्द तकलीफ़ तो मर्दों को भी होता है… दिल पर चोट पहुंचने पर वे भी रोते हैं, तड़पते हैं, कराहते हैं…
अमूमन बचपन से ही लड़कों के मन में यह बात बैठा दी जाती है कि लड़के मज़बूत होते हैं, ताक़तवर होते, हिम्मत वाले होते हैं… इसलिए उन्हें ख़ुद को कमज़ोर नहीं समझना है… इसी ज़हनियत के चलते मर्द अपने दुख-दर्द दूसरों के साथ नहीं बांट पाते और मन ही मन सबकुछ झेलते रहते हैं…
मर्द अपनी भावनाएं व्यक्त करने में झिझकते हैं… वे डरते हैं कि कहीं उन्हें कमज़ोर न समझ लिया जाए…और फिर उनका मज़ाक़ न उड़ाया जाए…वे कभी नहीं चाहते कि कोई भी उन्हें कमज़ोर या दब्बू समझे…ऐसे में घर, दफ़्तर या समाज में उनकी ‘इमेज’ का क्या होगा…?
हक़ीक़त यही है कि मर्दों को भी उतने ही प्यार और देखभाल की ज़रूरत होती है, जितनी लड़कियों को… जब किसी लड़की पर कोई परेशानी आती है तो पूरा परिवार सब कुछ छोड़कर उसके बारे में ही सोचने लग जाता है, मगर मर्दों को यह कहकर उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है कि वे ख़ुद सक्षम है… ऐसे में वे ख़ुद को बेहद अकेला महसूस करते हैं…
कुछ ख़ास बातें मर्दों के बारे में
अध्ययनों की मानें तो मर्दों में औरतों के मुक़ाबले जनरल इंटेलिजेंस तीन फ़ीसदी कम होता है.
मर्द ऐसे ग्रीटिंग कार्ड पसंद करते हैं, जिनमें संदेश बड़े शब्दों में लिखा हुआ हो.
मर्दों के बात करने से पहले ही बता दें कि वे आपकी बात ध्यान से सुने., साथ ही बात का विषय भी पहले ही बताना होगा. उनसे एक बार में एक विषय ही विषय पर बात करें, वह
भी सीधे व सरल शब्दों में.
मर्द जब अपने कारोबार को लेकर परेशान होते हैं तो वे अपने रिश्तों पर ध्यान नहीं दे पाते.
मर्द जब किसी वजह से परेशान होते हैं तो वे अकेले रहना ही पसंद करते हैं. ऐसे में उन्हें प्रेमिका का साथ भी पसंद नहीं आता.
मर्द प्यार के मामले में पहल करते हुए भी डरते हैं कि कहीं लड़की मना न कर दे… अगर लड़की ने मना दिया तो वो बर्दाश्त नहीं कर पाते…
क्योंकि इससे उनके अहं को चोट पहुंचती है…
औरतों के बारे में कुछ ऐसी बातें हैं, जिन्हें मर्द कभी समझ नहीं पाते… मसलन-
जब महिलाओं को दो दिन के लिए भी कहीं बाहर जाना होता है तो वे सूटकेस भरकर कपड़े क्यों लेकर जाती हैं.
महिलाएं ऐसी फ़िल्में देखना क्यों पसंद करती हैं, जिन्हें देखकर रोना आए.
गहने या महंगे कपड़े ख़रीदते वक़्त महिलाओं के चेहरे पर ज़्यादा रौनक़ होती है, जबकि कोई और सामान ख़रीदने पर उनके चेहरे पर ऐसी ख़ुशी नहीं दिखाई देती.
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