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कुछ अरसा पहले पंजाबी की एक नज़्म पढ़ी थी… जिसका एक-एक लफ़्ज़ दिल की गहराइयों में उतर गया… पेश है नज़्म का हिन्दी अनुवाद :
तेरी एक भी बूंद
कहीं और बरसी तो
मेरा बसंत
पतझड़ में बदल जाएगा…
तेरी एक भी किरण
किसी और आंख में चमकी तो
मेरी दुनिया
अंधी हो जाएगी…
तेरी एक भी सांस
किसी और सांस में समाई तो
मेरी ज़िन्दगी
तबाह हो जाएगी…
इस नज़्म में लड़की अपने महबूब से सवाल करती है. उसका महबूब उसे क्या जवाब देता है, यह तो मैं नहीं जानती… लेकिन इतना ज़रूर है कि हर मुहब्बत करने वाली लड़की का अपने महबूब से शायद यही सवाल होता होगा… और न जाने कितनी ही लड़कियों को अपने महबूब से वो हक़ हासिल नहीं हो पाता होगा, जिसकी वो तलबगार हैं… और फिर उनकी ज़िन्दगी में बहार का मौसम शबाब पर आने से पहले ही पतझड़ मे बदल जाता है. मुहब्बत के जज़्बे से सराबोर उनकी दुनिया जुदाई के रंज से स्याह हो जाती है और उनकी ज़िन्दगी हमेशा के लिए तबाह हो जाती है…और यही दर्द लफ़्ज़ों का रूप धारण करके गीत, नज़्म या ग़ज़ल बन जाता है..
कास्पियन सागर के पास काकेशिया के पर्वतों की उंचाइयों पर बसे दाग़िस्तान के पहाड़ी गांव में जन्मे सुप्रसिध्द लोक-कवि रसूल हमज़ातोव भी कहते हैं गीतों का जन्म दिल में होता है. फिर दिल उन्हें ज़बान तक पहुंचाता है. उसके बाद ज़बान उन्हें सब लोगों के दिल तक पहुंचा देती है और सारे लोगों के दिल वो गीत आने वाली सदियों को सौंप देते हैं…
-फ़िरदौस ख़ान
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