Menu
blogid : 11632 postid : 633319

साहिर लुधियानवी हर पल के शायर थे…

Firdaus Diary
Firdaus Diary
  • 57 Posts
  • 271 Comments

1003238_10201641602094494_2015783741_n

फ़िरदौस ख़ान

लफ़्ज़ों के जादूगर और हर दिल अज़ीज़ शायर साहिर का असली नाम अब्दुल हयी साहिर था, लेकिन उन्होंने इसे बदल कर साहिर लुधियानवी रख लिया था. उनका जन्म 8 मार्च, 1921 में लुधियाना के एक जागीरदार घराने में हुआ था. उनके पिता बेहद अमीर थे. घर में किसी चीज़ की कमी नहीं थी, लेकिन माता-पिता के अलगाव के बाद वह अपनी मां के साथ रहे और इस दौरान उन्हें ग़ुरबत में दिन गुज़ारने पड़े. उन्होंने लुधियाना के ख़ालसा हाईस्कूल से दसवीं की. गवर्नमेंट कॉलेज से 1939 में उन्हें निकाल दिया गया था. बाद में इसी कॉलेज में वह मुख्य अतिथि बनकर आए थे. यहां से संबंधित उनकी नज़्म बहुत मशहूर हुई-

इस सर ज़मीन पे आज हम इक बार ही सही

दुनिया हमारे नाम से बेज़ार ही सही

लेकिन हम इन फ़िज़ाओं के पाले हुए तो हैं

गर यहां नहीं तो यहां से निकाले हुए तो हैं…

1943 में वह लाहौर आ गए और उसी साल उन्होंने अपना पहला कविता संग्रह तलखियां शाया कराया, जो बेहद लोकप्रिय हुआ और उनकी ख्याति दूर-दूर तक फैल गई. इसके बाद 1945 में वह प्रसिद्ध उर्दू पत्र अदब-ए-लतीफ़ और शाहकार लाहौर के संपादक बन गए. बाद में वह द्वैमासिक पत्रिका सवेरा के भी संपादक बने. इस पत्रिका में उनकी एक नज़्म को पाकिस्तान सरकार ने अपने ख़िलाफ़ बग़ावत मानते हुए उनके विरुद्ध वारंट जारी कर दिया. 1949 में उन्होंने लाहौर छोड़ दिया और दिल्ली आ गए. यहां उनका दिल नहीं लगा और वह मुंबई चले आए. वहां वह उर्दू पत्रिका शाहराह और प्रीतलड़ी के संपादक बने. इसी साल उन्होंने फ़िल्म आज़ादी की राह के लिए गीत लिखे. संगीतकार सचिन देव बर्मन की फ़िल्म नौजवान के गीत ठंडी हवाएं लहरा के आएं…ने उन्हें प्रसिद्धि दिलाई. इसके बाद उन्होंने मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने सचिन देव बर्मन के अलावा, एन दत्ता, शंकर जयकिशन और ख़य्याम जैसे संगीतकारों के साथ काम किया. साहिर एक रूमानी शायर थे. उन्होंने ज़िंदगी में कई बार मुहब्बत की, लेकिन उनका इश्क़ कभी परवान नहीं चढ़ पाया. वह अविवाहित रहे. कहा जाता है कि एक गायिका ने फ़िल्मों में काम पाने के लिए साहिर से नज़दीकियां बढ़ाईं और बाद में उनसे किनारा कर लिया. इसी दौर में साहिर ने एक ख़ूबसूरत नज़्म लिखी-

चलो इक बार फिर से

अजनबी बन जाएं हम दोनों

चलो इक बार फिर से…

न मैं तुमसे कोई उम्मीद रखूं दिलनवाज़ी की

न तुम मेरी तरफ़ देखो ग़लत अंदाज़ नज़रों से

न मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाए मेरी बातों से


न ज़ाहिर हो तुम्हारी कशमकश का राज़ नज़रों से

चलो इक बार फिर से…

साहिर ने फ़िल्मी दुनिया में भी अपनी शायरी का कमाल दिखाया. उनके गीतों और नज़्मों का जादू सिर चढ़कर बोलता था. उनका नाम जिस फ़िल्म से जु़ड जाता था, उसमें वह सर्वोपरि होते थे. वह किसी के सामने नहीं झुकते थे, चाहे वह लता मंगेशकर हों या फिर सचिन देव बर्मन. वह संगीतकार से ज़्यादा मेहनताना लेते थे और ताउम्र उन्होंने इसी शर्त पर फ़िल्मों में गीत लिखे. हर दिल अज़ीज़ इस शायर ने कभी घुटने नहीं टेके, न शायरी में और न सिनेमा में. उनकी आन-बान-शान किसी फ़िल्मी सितारे से कम न थी. उन्हें भी फ़िल्मी सितारों की तरह चमचमाती महंगी गाड़ियों का शौक़ था. अपनी फ़ितरत की वजह से वह आलोचनाओं का भी शिकार रहे. वह अपने गीत को समूची फ़िल्म कृति से भारी समझते थे और इस बात को वह डंके की चोट पर कहते भी थे. यश चोपड़ा की फ़िल्म कभी-कभी के गीतों को याद कीजिए. फ़िल्म की शुरुआत में ही साहिर के दो गीत रखे गए, जो बेहद लोकप्रिय हुए-

कभी-कभी मेरे दिल में ख़्याल आता है

कि जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिए

तू अबसे पहले सितारों में बस रही थी कहीं

तुझे ज़मीं पे बुलाया गया है मेरे लिए…

मैं पल दो पल का शायर हूं

पल दो पल मेरी जवानी है

पल दो पल मेरी हस्ती है

पल दो पल मेरी कहानी है…

साहिर सिर्फ़ अपने लिए ही नहीं, दूसरों के लिए भी सिद्धांतवादी थे. वह लाहौर में साहिर साक़ी नामक एक मासिक उर्दू पत्रिका निकालते थे. पत्रिका घाटे में चल रही थी. साहिर की हमेशा यह कोशिश रहती थी कि कम ही क्यों न हो, लेकिन लेखक को उसका मेहनताना ज़रूर दिया जाए. एक बार वह ग़ज़लकार शमा लाहौरी को वक़्त पर पैसे नहीं भेज सके. शमा लाहौरी को पैसों की सख्त ज़रूरत थी. वह ठंड में कांपते हुए साहिर के घर पहुंच गए. साहिर ने उन्हें चाय बनाकर पिलाई. इसके बाद उन्होंने खूंटी पर टंगा अपना महंगा कोट उतारा और उन्हें सौंपते हुए कहा, मेरे भाई, बुरा न मानना, लेकिन इस बार नक़द के बदले जिंस में मेहनताना क़ुबूल कर लो. ऐसे थे साहिर. 25 अक्टूबर, 1980 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया, लेकिन अपनी शायरी की बदौलत वह गीतों में आज भी ज़िंदा हैं. उनकी महान रचनाओं ने उन्हें अमर कर दिया है. रहती दुनिया तक लोग उनके गीत गुनगुनाते रहेंगे. (स्टार न्यूज़ एजेंसी)

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh